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keywords: GAT || घरानों के आधार पर रचनाएँ || पेशकार ||

member since: Sep 6, 2021 | Viewed: 621

sangeet waalon ki duniyan

Category: Arts

घरानों के आधार पर रचनाएँ भारतीय संगीत एक ऐसा कला है , जिसमे विभिन्न संगीत ने घरानो ने अपनी विभिन्न रचनाओं को अलकृत कर संगीत को सुखद्ध एवं लयबध्द बनाने का कार्य किया है। इसी प्रकार संगीत प्रचार - प्रसार में संलग्न विश्वविद्यालय , अकादमी एवं संस्थाओं की विशेष भूमिका रही है। विभिन्न घरानों में ताल की अपनी विशिष्ट पहचान होता है। जिस प्रकार धरती ,सूरज ,चाँद ,नक्षत्र यह सभी अपनी -अपनी नियम गति या लय में विद्यमान है ठीक इसी प्रकार संगीत में भी एक समान गति होता है ,लय कहा जाता है जिसमे गायन ,वादन या नृत्य होता है। लय एवं ताल में भानिष्ठ सम्बन्ध होता है। ताल के अभाव में संगीत सार्थक नहीं होता है , ऐसे संगीत को अनिबध्द संगीत कहा जाता है। संगीत में ताल देने के लिए तबले ,मृदग ढोल और मंजीरे आदि का उपयोग किया जाता है। प्राचीन भारतीय संगीत में मृदंग ,घटम इत्यादि का प्रयोग अधिक होता था ,परन्तु वर्तमान हिंदुस्तानी संगीत में तबला सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय है। विभिन्न घरानों के आधार पर संगीत में प्रयुक्त होने वाला पेशकर , कायदा , रेला ,गाठ टुकड़ा ,परन , तिहाई , चक्रदार तथा लग्गी - लड़ी का विशेष महत्व है। ये संगीत की ऐसी विधाएँ है , जिसके माध्यम से संगीत को सुरीला एवं लयबद्ध बनाया जाता है। विभिन्न संगीत घरानों में इनका उपयोग किया जाता है। विशेषकर वादन शैली के क्षेत्र में इन विधाओं को उपयोगी मन जाता है। घरानों के आधार पर प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित है



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